टॉन्सिलिटिस एक बहुत ही आम शिकायत है। आयुर्वेदिक सर्जन सुश्रुत ने इसे ‘गिलयु’ की संज्ञा दी है। गिलायु गले में एक गांठ है। जब यह बढ़ता है तो रोग विकसित होता है। यह गले का रोग है। यह रोग थूक और रक्त वाहिकाओं में दोष के कारण होता है। जिन लोगों को सर्दी-जुकाम है, उनमें बढ़े हुए टॉन्सिल की जांच के लिए अक्सर बढ़े हुए कफ का इस्तेमाल किया जाता है।
ठंडे खाद्य पदार्थ, आइसक्रीम, शीतल पेय, ठंडा पानी आदि का लगातार और अधिक मात्रा में सेवन करने से टॉन्सिल में वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यह टॉन्सिल की सूजन और टॉन्सिल के बढ़ने का कारण बनता है। दही जैसे पदार्थों का लगातार सेवन भी इस विकार का कारण बनता है।
बहुत ठंडे वातावरण में रहना, गले में ठंडी हवा आना, वाहन पर बैठते समय गले की देखभाल न करना भी टॉन्सिल की परेशानी के पूरक कारण हैं। ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से जो स्वाद में बहुत खट्टे हों और जो गले को संतुष्ट न करें भी इस समस्या का कारण बन सकते हैं। उपरोक्त कारणों से टॉन्सिल में सूजन आ जाती है और फिर रोग के लक्षण स्थानीय और सार्वभौमिक रूप से प्रकट होने लगते हैं।
इस बीमारी में गले में कुछ फंसा हुआ था। नोड्यूल्स की सूजन से भोजन को निगलने में कठिनाई होती है। शरीर को बुखार हो जाता है। बार-बार जुकाम होना। बोलना मुश्किल है। कई बार इससे कान में दर्द भी हो जाता है। ऐसी स्थिति में गले की जांच करने पर ये गांठें लाल दिखाई देती हैं। गले को बाहर से छूने से दर्द होता है। इन बढ़े हुए पिंडों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
इसे अनदेखा करने से यह सूजन आगे की अवस्था में आ जाती है। इसलिए, यदि आप नोटिस करते हैं कि आप टॉन्सिलिटिस से पीड़ित हैं, तो तुरंत चिकित्सा सलाह लेना आवश्यक है। खासकर पैरेंट्स को इस पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। क्योंकि अक्सर बच्चे केवल सर्दी-खांसी से पीड़ित होते हैं, उनके माता-पिता घर पर ही उनका इलाज कर रहे हैं।
क्या समस्या टॉन्सिल के कारण है, यह माता-पिता द्वारा चिकित्सकीय सलाह से तय किया जाना चाहिए और समय पर इलाज किया जाना चाहिए। बच्चे विशेष रूप से इस बीमारी के बारे में तब जागरूक होते हैं जब वे मेडिकल चेक-अप के लिए स्कूल जाते हैं। इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है।
टॉन्सिल पर उपाय – remedy on tonsils
- तोंसिल्लितिस के उपचार का एक प्रमुख हिस्सा उन पदार्थों का सेवन तुरंत बंद करना है जो इस वृद्धि का कारण बनते हैं। ठंडे खाद्य पदार्थ – पानी, हवा – ये सभी चीजें टॉन्सिल के खिलाफ हैं।यदि इन सामग्रियों का सेवन जारी रखा जाए, तो टॉन्सिलिटिस से राहत पाने के लिए सर्जरी ही एकमात्र तरीका है।
- अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने खान-पान पर नियंत्रण रखना होगा।अब दूसरा भाग वास्तविक उपचार है। इसमें गुलन का बहुत महत्व है। गर्म पानी में थोडा सा नमक और थोड़ी सी हल्दी मिलाने से टॉन्सिल्स की जलन कम होगी।
- बुखार की अवस्था के अनुसार त्रिभुवनकीर्ति, महाजवारंकुश जैसी कुछ औषधियों का प्रयोग किया जाता है। साथ ही इसकी रोकथाम के लिए त्रिफला-गुग्गुल जैसी कुछ दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- गले के बाहरी हिस्से पर कुछ बार लगाने से टॉन्सिल की सूजन में लाभ होता है। बेशक, यह सबसे अच्छा चिकित्सकीय मार्गदर्शन में किया जाता है।